Wednesday, May 8, 2013

आजाद पंछी

लकीरों की ज़ंजीरों से आजाद
खुले आसमां की सैर  को आमदा है ये पंछी
धुंध के पार जो है उसकी मंजिल
उसकी तलाश में लहूलुहान तो है पर थका नहीं...

 

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